Monday, July 10, 2023

 मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं ज़मीं हूं मैं

मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूं मैं

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को

वहां पे ढूंढ़ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं

मैं आइनों से तो मायूस लौट आया था

मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूं मैं

वो ज़र्रे ज़र्रे में मौजूद है मगर मैं भी

कहीं कहीं हूं कहां हूं कहीं नहीं हूं मैं

वो इक किताब जो मंसूब तेरे नाम से है

उसी किताब के अंदर कहीं कहीं हूं मैं

सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ

ये मेरा हुक्म है हालांकि कुछ नहीं हूं मैं

यहीं हुसैन भी गुज़रे यहीं यज़ीद भी था

हज़ार रंग में डूबी हुई ज़मीं हूं मैं

ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएंगी

मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूं मैं

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